दिपावली परà¥à¤µ को लेकर बाज़ार सज गठहैं। हर तरफ दिवाली की रौनक नज़र आ रही है। आज धनतेरस है à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन के दौरान कारà¥à¤¤à¤¿à¤• कृषà¥à¤£ तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ के दिन à¤à¤—वान धनà¥à¤µà¤‚तरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤à¥¤ कहते हैं कि चिकितà¥à¤¸à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठही à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने धनवंतरी का अवतार लिया था। à¤à¤—वान धनवंतरी के पà¥à¤°à¤•ट होने के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में ही धनतेरस का तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° मनाया जाता है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि धनतेरस के दिन लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन करने से घर धन-धानà¥à¤¯ से पूरà¥à¤£ हो जाता है।
इसी दिन यथाशकà¥à¤¤à¤¿ खरीददारी और लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ गणेश की नई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को घर लाना à¤à¥€ शà¥à¤ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जिस à¤à¥€ चीज की खरीददारी की जाà¤à¤—ी उसमें 13 गà¥à¤£à¤¾ वृदà¥à¤§à¤¿ होगी। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ पंडित अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° शरà¥à¤®à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान धनवंतरी की पूजा का शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ है शाम पांच से छह बजे तक है। इसी दिन घर के बाहर चौकठपर à¤à¤• चार मà¥à¤–ी दीया जलाया जाता है। अकाल मृतà¥à¤¯à¥ से बचने के लिठघर के बाहर ये दिया जलाया जाता है। वहीं छोटी दिवाली पर पांच घी के दिठजलाà¤à¤‚ जाते है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• बड़ी दिवाली के दिन कारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤² पर पूजन का उपयà¥à¤•à¥à¤¤ समय दोपहर 2 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट और शाम 6 बजकर 40 से रात 8 बजकर 40 तक रहेगा।