दिपावली के ठीक अगले दिन गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा होती है। गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा को अनà¥à¤¨à¤•ूट पूजा à¤à¥€ कहा जाता है। देशà¤à¤° में आज कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा की जा रही है। हर साल कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ को यह पूजा की जाती है à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि इस दिन à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µ से पूजा करने से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ को 56 à¤à¥‹à¤— का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चढ़ाया जाता है। दरअसल à¤à¤• कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° माता यशोदा बालकृषà¥à¤£ को à¤à¤• दिन में 8 बार à¤à¥‹à¤œà¤¨ बालकृषà¥à¤£ कराती थी।
à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ कहा जाता है कि à¤à¤• बार इनà¥à¤¦à¥à¤° की वरà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤•ोप से सारे बà¥à¤°à¤œ को बचाने के लिठà¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ को उठा लिया था, तब लगातार 7 दिन तक à¤à¤—वान ने अनà¥à¤¨-जल गà¥à¤°à¤¹à¤£ नहीं किया। 8वें दिन जब à¤à¤—वान ने देखा कि अब इनà¥à¤¦à¥à¤° की वरà¥à¤·à¤¾ बंद हो गई है, तब सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤œà¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में 8 पहर à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने वाले बालकृषà¥à¤£ को लगातार 7 दिन तक à¤à¥‚खा रहना उनके बà¥à¤°à¤œà¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और मैया यशोदा के लिठबड़ा कषà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤°à¤¦ हà¥à¤†à¥¤ जिसके बाद à¤à¤—वान के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिखाते हà¥à¤ सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤œà¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और माता यशोदा ने 7 दिन और अषà¥à¤Ÿ पहर के हिसाब से 7X8=56 वà¥à¤¯à¤‚जनों का à¤à¥‹à¤— लगाया था। तà¤à¥€ से ये पà¥à¤°à¤¥à¤¾ चली आ रही है। इस दिन à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को अनà¥à¤¨à¤•ूट, फल, मिठाई का à¤à¥‹à¤— लगाने से पà¥à¤°à¤à¥ कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।