कारà¥à¤¤à¤¿à¤• शà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤•ादशी के बारे में à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि आज के दिन विषà¥à¤£à¥ à¤à¤—वान चार माह की योग निदà¥à¤°à¤¾ से जागते है। à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ समेत सà¤à¥€ देवगण चार महीने की योग निदà¥à¤°à¤¾ से बाहर आते हैं, यही वजह है कि इस à¤à¤•ादशी को देवउठनी à¤à¤•ादशी कहा जाता है इसके साथ ही चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ वà¥à¤°à¤¤ का à¤à¥€ समापन होता है और शà¥à¤ मांगलिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठहो जाता है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस दिन तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह के माधà¥à¤¯à¤® से उनका आहà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जगाया जाता है।
देवउठनी à¤à¤•ादशी के दिन à¤à¤—वान शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® और तà¥à¤²à¤¸à¥€ के पौधे का विवाह हिनà¥à¤¦à¥‚ रीति-रिवाज से संपनà¥à¤¨ किया जाता है। तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह का आयोजन करना अतà¥à¤¯à¤‚त मंगलकारी और शà¥à¤ माना जाता है। कहते हैं कि देवउठनी à¤à¤•ादशी के दिन à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को तà¥à¤²à¤¸à¥€ दल अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने और शालीगà¥à¤°à¤¾à¤® के साथ तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह कराने से सà¤à¥€ कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का निवारण होता है और à¤à¤•à¥à¤¤ को à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की विशेष कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।
तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह से मिलता है कनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ जैसा पà¥à¤£à¥à¤¯
à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि इस दिन शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® और तà¥à¤²à¤¸à¥€ का विवाह संपनà¥à¤¨ करवाने से वैवाहिक जीवन में आ रही समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का अंत हो जाता है। साथ ही जिन लोगों के विवाह नहीं हो रहे हैं उनका रिशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ पकà¥à¤•ा हो जाता है। साथ जिन लोगों के घरों में बेटियां नहीं है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤²à¤¸à¥€ विवाह कराने से कनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ जैसा पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
जानें, कौन थी तà¥à¤²à¤¸à¥€
à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि तà¥à¤²à¤¸à¥€ यानि वृंदा à¤à¤• जलंधर नाम के राकà¥à¤·à¤¸ की पतà¥à¤¨à¥€ थी वृंदा के पति ने चारों तरफ बड़ा उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ मचा रखा था। उसकी पतà¥à¤¨à¥€ वृंदा के पतिवà¥à¤°à¤¤à¤¾ धरà¥à¤® की वजह से वह विजयी बना हà¥à¤† था। जलंधर के उपदà¥à¤°à¤µà¥‹à¤‚ से परेशान देवगण à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के पास गठजिसके बाद à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने वृंदा का पतिवà¥à¤°à¤¤à¤¾ धरà¥à¤® à¤à¤‚ग करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जलंधर का रूप धर कर छल से वृंदा का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ किया। वृंदा का पति जलंधर, देवताओं से यà¥à¤¦à¥à¤§ कर रहा था, लेकिन वृंदा का सतीतà¥à¤µ नषà¥à¤Ÿ होते ही वह मारा गया।
जैसे ही वृंदा का सतीतà¥à¤µ à¤à¤‚ग हà¥à¤†, जलंधर का सिर उसके आंगन में आ गिरा। जब वृंदा ने यह देखा तो कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होकर जानना चाहा कि फिर जिसे उसने सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ किया वह कौन है। तब उसके सामने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अपने असली रूप में आ गà¤à¥¤ उसने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को शाप दे दिया, ''जिस पà¥à¤°à¤•ार तà¥à¤®à¤¨à¥‡ छल से मà¥à¤à¥‡ पति वियोग दिया है, उसी पà¥à¤°à¤•ार तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पतà¥à¤¨à¥€ का à¤à¥€ छलपूरà¥à¤µà¤• हरण होगा और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ वियोग सहने के लिठतà¥à¤® à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ लोक में जनà¥à¤® लोगे.'' यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई।0
वृंदा के शाप से ही पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€ राम ने अयोधà¥à¤¯à¤¾ में जनà¥à¤® लिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सीता वियोग सहना पड़ा। जिस जगह वृंदा सती हà¥à¤ˆ वहां तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पौधा उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ कहा जाता है कि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने वृंदा को कहा था कि तà¥à¤® तà¥à¤²à¤¸à¥€ बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ कारà¥à¤¤à¤¿à¤• à¤à¤•ादशी के दिन तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। इसलिठबिना तà¥à¤²à¤¸à¥€ दल के शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® या विषà¥à¤£à¥ जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।