केंद्र ने गेहूं उत्पादक राज्यों को किया आगाह


खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम गेहूं की फ़सल को लेकर सरकार कोई भी चूक नहीं करना चाहती है।

केंद्र ने गेहूं उत्पादक राज्यों को किया आगाह


रबी सीज़न की फसलों की बुआई शुरू हो चुकी है। अगले महीने में तापमान कम होते ही गेहूं की बुआई शुरू हो जाएगी। सीज़न के प्रमुख और खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम à¤—ेहूं की फसल को लेकर सरकार कोई भी चूक नहीं करना चाहती है।

आपदा समूह की बैठक हुई है जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने की। इस बैठक में गेहूं उत्पादक सभी राज्यों के प्रतिनिधि à¤¶à¤¾à¤®à¤¿à¤² हुए। à¤¬à¥ˆà¤ à¤• में सभी राज्यों के प्रतिनिधि को रतुआ और करनाल बांट के खतरे से आगाह किया गया है।

बता दें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य्प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में कुल 96 फीसदी की पैदावार होती है। à¤°à¤¤à¥à¤† और करनाल बंट जैसे फंगल रोग महामारी के रूप में फैलते है। इसे लेकर दुनिया के सभी उत्पादक देश में पहले से ही सतर्कता बरतते हैं। 
 

इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय व कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, अंतर्राष्टीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र के वैज्ञानिको ने हिस्सा लिया। अग्रवाल ने चालू सीज़न में गेहूं की फसल की सुरक्षा को लेकर सभी राज्यों को लेकर हिदायत दी है। 
 

वर्ष 2011 में  रतुआ और करनाल बंट का प्रकोप 4.70 लाख हेक्टेयर रकबा में हुआ था। फूफंदी (फंगस) वाला ये रोग हवा के माध्यम से फैलता है। इसकी गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने केंद्रीय सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय आपदा प्रबंधन समूह का गठन किया था। इस समूह की बैठक हर साल रबी सीज़न में गेहूं की बुवाई शुरू होने से पहले होती है।

इन रोगों की निगरानी ट्रैप प्लाट नर्शरी प्रणाली, मोबाइल रेविंग सर्वेक्षण और इसरो के उपग्रह से लगातार की जाती है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाता है। जानकारी मिलते ही प्रभावित क्षेत्र में कीटनाशकों एवं अन्य तरीकों से इस पर काबू पाने की कोशिश की जाती है।

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