मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के बैतूल ज़िले में जलà¥à¤¦ ही काजू की खेती शà¥à¤°à¥‚ होगी। इसकी खेती के लिठज़िले में à¤à¥€ तैयारी शà¥à¤°à¥‚ हो गई हैं। बता दें शà¥à¤°à¥‚आत में ५० लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° में इसकी खेती को शà¥à¤°à¥‚ किया जाà¤à¤—ा।
दरअसल अफà¥à¤°à¥€à¤•ा से काजू का बीज मंगाया गया है। बैतूल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का पहला ज़िला होगा जहां काजू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ इतने बड़े पैमाने पर शà¥à¤°à¥‚ किया जाà¤à¤—ा। काजू संचलायन के डायरेकà¥à¤Ÿà¤° डॉ वेंकटेश ने बैतूल ज़िले का तीन दिन तक दौरा किया। इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि बैतूल में काजू की वेंगरूला- 47 पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ जलवायॠको सूट करती है और जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ इसको लगवाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाà¤à¤—ा।
देश की सरकार ने अफà¥à¤°à¥€à¤•ा से इस काजू का बीज मांगवाने की तैयारी की है। जैसे ही यह बीज आà¤à¤—ा इसे किसानों को उपलबà¥à¤§ करवाया जाà¤à¤—ा। उनके मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• ज़िले में काजू की खेती की बेहद ही अपार संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤ हैं। फिलहाल, 150 हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° जमीन पर काजू की खेती करने का टारगेट तय किया गया है।
अलग-अलग तीन खंडों में हो रही खेती
फिलहाल तीन विकासखंडों घोड़ाडोंगरी, शाहपà¥à¤° और चिचोली में ही काजू की खेती होती है। बता दें महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रतà¥à¤¨à¤¾à¤—िरी में à¤à¥€ हापà¥à¤¸ और अलà¥à¤«à¤¾à¤‚सो आम की जगह काजू का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किसान कर रहे हैं। काजू उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ से वे लाखों रà¥à¤ªà¤ कमा रहे हैं। अनà¥à¤ªà¤œà¤¾à¤Š ज़मीनों से à¤à¥€ वे बेहतर आमदनी कर रहे हैं।
जानने में दिलचसà¥à¤ªà¥€ होगी कि काजू का मूलसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤œà¤¼à¥€à¤² है। आनà¥à¤§à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, गोवा, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•, केरल, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°, ओड़िशा, तमिलनाडू और पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में काजू की खेती होती है। साथ ही असम, छतीसगढ़, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, मेघालय, नागालैंड और तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ के कà¥à¤› इलाकों में à¤à¥€ काजू की खेती की जाती है।