संविधान निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं ने दो वरà¥à¤· 11 महीने 18 दिन के अथक परिशà¥à¤°à¤® करने के बाद संविधान का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया, जिसमें कारà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा और विधायका के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– हैं। पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤° के तीन सà¥à¤¤à¤‚ठहै कारà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा और विधायिका। विधायिका का काम है कानून का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना तो नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा का काम है उस कानून को सही तरह से लागॠकरवाना, लोगों के अधिकारों का रकà¥à¤·à¤¾ करना और संविधान का संगरकà¥à¤·à¤£ करना। पिछले कà¥à¤› सालों से राजà¥à¤¯ की विधायिका à¤à¤¸à¥‡ फैसला कर रही, जिससे à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤ होता है कि संविधान ने उनको लोगों के हित में कानून बनाने के लिठनहीं बलà¥à¤•ि अपराधी और बाहà¥à¤¬à¤²à¥€ के पकà¥à¤· में कानून बनाने का अधिकार दे रखा है और कारà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा मà¥à¤–दरà¥à¤¶à¤• बनी हà¥à¤ˆ है।
पिछले दिनों बिहार सरकार ने जेल मैनà¥à¤¯à¥à¤…ल में बदलाव कर 27 अपराधियों की रिहाई का रासà¥à¤¤à¤¾ साफ किया। पहले नियम ये था कि काम पर तैनात सरकारी सेवक की हतà¥à¤¯à¤¾ जैसे जघनà¥à¤¯ अपराध में आजीवन कारावास का पà¥à¤°à¤µà¤§à¤¾à¤¨ था। नियम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¸à¥‡ मामलों में सजा पाठकैदी की रिहाई नहीं होंगी और उसे सारी उमà¥à¤° जेल में ही बिताना होगा। बिहार सरकार ने उस नियम में सरकारी सेवक की हतà¥à¤¯à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ पà¥à¤°à¤µà¤§à¤¾à¤¨ को हटा दिया और 27 कैदियों की रिहाई का रासà¥à¤¤à¤¾ साफ किया। ये सारी बदलावें अगले साल होने वाले लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ को देखते हà¥à¤ लिया गया है। नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° ने ये फैसला राजपूत और यादव जाती के वोटबैंक को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ लिया है। आपको बताते चले की रिहाई होने वालों में सबसे चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ नाम आनंद मोहन का है जो डीà¤à¤® जी कृषà¥à¤£à¥ˆà¤¯à¤¾ के हतà¥à¤¯à¤¾à¤•ांड में 15 साल से सजा काट रहे थे।
नबà¥à¤¬à¥‡ के दशक में लालू यादव के नेतृतà¥à¤µ में जब पिछड़ो का राजनीति उफान पर था तो उसी समय अगड़ों यानि सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जाती के आवाज उठाने वाले और नेतृतà¥à¤µ करने वालों में आनंद मोहन नाम सबसे आगे था। बिहार का बचà¥à¤šà¤¾ - बचà¥à¤šà¤¾ जनता है कि पहले लालू यादव ने और फिर नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° ने ही अपने रासà¥à¤¤à¥‡ का कांटा हटाने के लिठआनंद मोहन को पहले फसाया और अब उसका रिहाई कर अगले साल होने वाले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के लिठवोट बटोरने का रासà¥à¤¤à¤¾ बना रहे हैं । ठीक वैसे ही जैसे नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° ने पहले चौराहे - चौराहे शराब की दà¥à¤•ान खोली और कà¥à¤› साल बाद शराब बंदी कर के वाह - वाही और वोट लूटी। बिहार अकेला राजà¥à¤¯ नहीं जिसने अपराधियों के रिहाई के लिठनियम में बदलाव किये हों बलà¥à¤•ि पिछले साल à¤à¤¸à¤¾ ही मामला गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में à¤à¥€ देखने को मिला था।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि केवल विधायिका अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¨ नहीं कर पा रही बलà¥à¤•ि नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा का à¤à¥€ वही हाल है। कई बार इतना समय लग जाता है नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ देने में की उस नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। इसी का नतीजा हमें देखने को मिल रहा है कि यूपी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ कई दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¾à¤‚त अपराधी का à¤à¤¨à¤•ाउंटर कर उसको सजा दे रही है और जनता à¤à¥€ उसका समरà¥à¤¥à¤¨ कर रही हैं। समय आ गया हैं कि कारà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा, विधायका, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा आतà¥à¤®à¤šà¤¿à¤‚तन करें à¤à¤µà¤‚ सविंधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¨ करें।