चार बार कृषि करà¥à¤®à¤£à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार अलग-अलग फसलों में पाने वाला बिहार अनाज के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के मामले में पांच साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पायदान पर पहà¥à¤à¤š गया है। अनाज का कà¥à¤² उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ साल 2017 -18 में à¤à¤• करोड़ 78 लाख टन हà¥à¤†à¥¤ वरà¥à¤· 2012 -13 में à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ का यहीं आंकड़ा था। सरकारी आंकड़े की सूकà¥à¤·à¥à¤® गणना करे तो ये पता चलता है कि इस अवधि में उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ लगà¤à¤— 25 हजार टन काम ही हà¥à¤† है। बीच के कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹ में तो उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में बहà¥à¤¤ ही गिरावट दरà¥à¤œ की गई। राजà¥à¤¯ में पहले कृषि रोडमैप में अनाज का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ काफी बà¥à¤¾ है। लेकिन 2012 -17 में बने दूसरे कृषि रोडमैप में लगà¤à¤— हर साल उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ घटता गया। शà¥à¤•à¥à¤° है कि वरà¥à¤· 2016 -17 में मौसम ने साथ दिया और उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में काफी वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤ इस साल कà¥à¤² अनाज का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¤• करोड़ 85 लाख टन पहà¥à¤à¤š गया लेकिन अगले ही साल यह घटकर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ जगह पर आ गई ।बीच के दो-तीन वरà¥à¤·à¥‹ में उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ लगà¤à¤— तीस लाख टन तक घट गया।सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठशà¥à¤°à¥‚ की गई योजनाओ के बावजूद दलहन का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ हर साल घटता जा रहा है।
मौसम के बदलाव के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को योजनाà¤à¤‚ कम नहीं कर सकी
राजà¥à¤¯ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मौसम पर आधारित खेती होती है। हाल के वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में मौसम का बदलता रà¥à¤– उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ को काफी हद तक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर देता है। लेकिन यह à¤à¥€ कहना गलत नहीं होगा की सरकारी योजनाठमौसम में बदलाव के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को कम करने में सफल नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ इससे उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में गिरावट हो रहा है ।