स्वाइन फ्लू से बचने के आसान उपाय


देश में स्वाइन फ्लू से 1103 मौतें हुई हैं। स्वाइन फ्लू के मामलों की संख्या में वृद्धि खास तौर पर भारत के उत्तरी हिस्सों में जनवरी के महीने में और फरवरी से मार्च के दौरान देश के कई हिस्से में देखने को मिलती है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ फ्लू के मामले अधिक होते हैं। इसलिए जनवरी में अधिक मामलों का होना अजीब नहीं है।

स्वाइन फ्लू से बचने के आसान उपाय


देश में स्वाइन फ्लू से 1103 मौतें हुई हैं। स्वाइन फ्लू के मामलों की संख्या में वृद्धि खास तौर पर भारत के उत्तरी हिस्सों में जनवरी के महीने में और फरवरी से मार्च के दौरान देश के कई हिस्से में देखने को मिलती है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ फ्लू के मामले अधिक होते हैं। इसलिए जनवरी में अधिक मामलों का होना अजीब नहीं है।
 
आंकड़ो की रिपोर्ट अनुसार, इन्फ्लूएंजा ए1एच1 या स्वाइन फ्लू के 4994 मामलों में से लगभग 1694 मामले 13 जनवरी 2019 तक सामने आए हैं और यह आंकड़ा जनवरी के महीने में पिछले साल दर्ज किए गए 798 मामलों से दोगुना है। 2018 में 14999 मामलों की पुष्टि की गई थी। राजस्थान 2019 के पहले 2 हफ्तों में 789 मामलों और 31 मौतों के साथ देश में स्वाइन फ्लू का सबसे प्रभावित राज्य रहा। दूसरे प्रभावित राज्यों में गुजरात, दिल्ली और हरियाणा हैं।
 
अधिकारी कि मानें तो भारत में इस वर्ष का प्रमुख इन्फ्लूएंजा तनाव ए1एच1 है। वातावरण में कईं वायरस होते हैं जिसके परिणामस्वरूप संख्या बढ़ती है। 


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वहीं, राजस्थान सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया है कि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने पूरे राजस्थान में ए1एच1 के लिए दवा उपलब्ध करवाई है। साथ ही, डॉक्टरों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टॉफ की छुट्टीयां भी रद् कर हम स्थिति पर नज़र रख रहे हैं। जहां स्वाइन फ्लू का मामला पाया गया है वहां पूरे क्षेत्र में जांच की गई है।

 
जानते हैं इसके बचाव-
 
1. स्वाइन फ्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका वार्षिक फ्लू टीकाकरण है।
2. साबुन या हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोएं। खुद को साफ और कीटाणुरहित रखना महत्वपूर्ण है।
3. अपनी नाक, मुंह या आंखों को न छुएं।
4. सर्दी और बदन दर्द के साथ तेज़ बुखार होने पर जल्दी डॉक्टर से सलाह लें।
5. एंटी-वायरल दवाएं का सेवन करें। मौसमी फ्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ ऐसी ही एंटीवायरल दवाएं भी हैं जो ए1एच1 स्वाइन फ्लू के खिलाफ काम करती हैं।
5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं और जो 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोग हैं, उन्हें यह फ्लू जल्दी प्रभावित करता है।
आपको बता दें, बच्चे और किशोर (18 वर्ष) से कम जो लंबे समय तक एस्पिरिन थेरेपी प्राप्त कर रहे हैं और जो स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने के बाद रेयेस के सिंड्रोम के लिए खतरा हो सकते हैं। रेयेस सिंड्रोम बच्चों में एस्पिरिन के उपयोग से जुड़ी एक जानलेवा बीमारी है।

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