जब हम बात आधà¥à¤¨à¤¿à¤•ता या डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने की करते हैं, तो सबसे पहला नाम जो उà¤à¤°à¤•र सामने आता है वह है सोशल मीडिया। यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® है जो आम मीडिया हाउस से अलग है। ईस पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® के लिठकोई कायदा कोई कानून या किसी तरह की बाधà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं है। सीधे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहें तो यह बेलगाम घोड़ा है।
जहां दूसरे मीडिया हाउसेस को कà¥à¤› à¤à¥€ दिखाने या बताने से पहले उसकी सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को जांचना होता है। तो वहीं सोशल मीडिया पर सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ जैसे किसी à¤à¥€ शबà¥à¤¦ का दूर दूर तक कोई वासà¥à¤¤à¤¾ नहीं है। इस पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर किसी à¤à¥€ तरह का पà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‡à¤—ंडा सेट करना किसी à¤à¥€ à¤à¥‚ठको फैलाना और करोड़ो लोगों तक पहà¥à¤‚चाना हो तो सोशल मीडिया वो पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® है।
हां मैं इस बात से सहमत हूं कि सोशल मीडिया आज के दौर में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® है, जो आम लोगों की जिंदगी का à¤à¤• अहम हिसà¥à¤¸à¤¾ बन गया है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें तमाम तरह की बातें सूचना का आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना शिकà¥à¤·à¤¾ संबंधी जानकारी और राजनीतिक अपडेट à¤à¥€ शामिल होते हैं। लेकिन सबके बावजूद इस पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® को à¤à¤• बेलगाम घोड़ा कहना गलत नहीं होगा।
बात अगर à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कहूं तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सवा अरब जनसंखà¥à¤¯à¤¾ जिसमें से लगà¤à¤— 70 करोड लोगों के पास फोन है। तकरीबन 25 करोड़ लोगों के पास सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤«à¥‹à¤¨ है और इस 25 करोड़ों लोगों में से 15 करोड़ लोग हर महीने फेसबà¥à¤• चलाते हैं। तो वहीं 16 करोड़ तो हर महीने वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸à¤à¤ª पर रहते हैं। à¤à¤¸à¥‡ में किसी à¤à¥€ जानकारी को करोड़ों लोगों तक पहà¥à¤‚चाने में घंटे à¤à¤° का समय नहीं लगता है। बिना उस खबर की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की जांच किठहà¥à¤ करोड़ों लोग अपने सोशल साइट पर अपने अपने तरीके से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने की कोशिश में जà¥à¤Ÿ जाते हैं।
राजनीतिक पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ सोशल मीडिया पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® से अछूती नहीं रही है। जब देश की इतनी बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ डिजिटल पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर ऑनलाइन मिलती है तो कैंपेन करने का और पà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‡à¤—ेंडा फैलाने का इससे अचà¥à¤›à¤¾ माधà¥à¤¯à¤® हो ही नहीं सकता है। फिर कà¥à¤¯à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होता है सोशल मीडिया पर राजनीति का यà¥à¤¦à¥à¤§, जिसमें राजनेता के साथ साथ नेताओं के समरà¥à¤¥à¤• à¤à¥€ जमकर हिसà¥à¤¸à¤¾ लेते हैं। अपने अपने तरीके से पोसà¥à¤Ÿ करते हैं और अपने नेता को महान बताने की कोशिश करते हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह निकलकर सामने आती है, यहां à¤à¤¾à¤·à¤¾ की मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का कोई खà¥à¤¯à¤¾à¤² नहीं रखा जाता।
सोशल मीडिया का नशा जिसे à¤à¤• बार हो जाता है तो यह अफीम के नशे से à¤à¥€ गहरा नशा होता है। यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नशा है जिसमें इंसान होश में होते हà¥à¤ à¤à¥€ बेहोश होता है। उसे तो बस सोशल मीडिया पर अपनी बात को सही साबित करती है।
अब जरा सोचिठà¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® जो अफीम से गहरा नाता करता है। जिसके लिठकोई कानून कोई दायरा नहीं हो, जिसमें सही गलत कà¥à¤¯à¤¾ है इसमें कोई फरà¥à¤• ना हो और जिसे जो मन में आठवह करें à¤à¤¸à¥‡ में सोशल मीडिया को à¤à¤• बेलगाम घोड़ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना कहा जाà¤à¥¤
कमल किशोर सिंह