अब वो दिन दूर नहीं जब बढ़ते वायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण पर जलà¥à¤¦ लगाम लग सकेगी। जी हां पालमपà¥à¤° में फसलों के अवशेष यानि पराली से अब बॉयोडीजल बनाने की तैयारी की जा रही है। जिससे वायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण तो कम होगा ही साथ ही परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ को à¤à¥€ बढ़ावा मिलेगा।
हिमालय जैवसंपदा पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पालमपà¥à¤° ने इसकी पहल की है। संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ की माने तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ बॉयोडीजल बनाने की तकनीक तैयार की है। जिसकी लागत काफि अधिक है लेकिन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ इस दिशा में पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ है ताकि इसकी लागत कम हो सके।
गौरतलब है कि कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पंजाब, हरियाणा, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में किसान फसलों के अवशेषों को खेतों में ही जला देते है जिससे परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ दूषित होता है जो सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पर बेहद बà¥à¤°à¤¾ असर डालती है। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को होने वाले इस नà¥à¤•सान को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ मानते हà¥à¤ काउंसिल ऑफ साइंटिफिक à¤à¤‚ड इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤² रिसरà¥à¤š पालमपà¥à¤° के हिमालय जैवसंपदा पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ने विशेष परियोजना के तहत फसलों के अवशेषों से बॉयोडीजल तैयार करने में कामयाबी हासिल की है।
मकà¥à¤•ा, धान, गेहूं और गनà¥à¤¨à¥‡à¤‚ की फसलों के अवशेषों को बारीक बनाकर पाउडर में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ किया जाता है और इसमें कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• मिशà¥à¤°à¤£ मिलाया जाता है। इससे ही बॉयोडीजल तैयार किया जाता है। इसके गाड़ियों में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करने से इंजन की कारà¥à¤¯ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बढ़ती है। साथ ही गाड़ियों से निकलने वाले कारà¥à¤¬à¤¨ उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¨ की मातà¥à¤°à¤¾ में à¤à¥€ कमी आती है।
बायोडीजल जैविक सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ और डीजल के समतà¥à¤²à¥à¤¯ ईंधन है, जो परंपरागत डीजल इंजनों को बिना परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ किठही चला सकता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ का पहला बॉयोडीजल संयंतà¥à¤° ऑसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ के सहयोग से काकीनाड़ा सेज में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है।